क्या हम कभी भगवान को देख सकेंगे?

क्या हम कभी भगवान को देख सकेंगे? अवश्य ही हम भगवान को देख सकते हैं। वेद ज्ञान की अथारिटी हैं । वेद कहते हैं जो जिस रूप में भगवान को चाहता है वह उन्हें उसी रूप में पाता है। ज्ञानी उसे निराकार ब्रह्म कहता है और उसी रूप में उसका आनन्द पाता है। भक्त उसे एक परम सुन्दर, परम कारुणिक, परम कृपालु श्रीराम, श्रीकृष्ण के रूप में देखता है और उसी रूप में पाकर उनकी सेवा करता है। जिस प्रकार विज्ञान में किसी तत्व के गुण-दोष जानने के लिये कुछ नियम हैं उन नियमों का पालन करने पर ही आप उसके गुण-दोष जान सकते है, प्रकट कर सकते हैं। जैसे पानी 0 डिग्री से गे पर ही बर्फ बनता है इससे कम ताप पर आप उसके बर्फ बनने की आशा नहीं करेंगे और उसे दोष नहीं दे सकते। इसीप्रकार भक्ति भी एक विज्ञान है। मानव मन भक्ति की प्रयोगशाला है। यहाँ प्रयोग अति सूक्ष्म होते हैं। बाह्य आँखों से दिखाई भी नहीं पडते अतः लोग धोखे में आ जाते हैं। तो जब आप किसी भक्ति वैज्ञानिक (वास्तविक संत) द्वारा बताये भक्ति के सिद्धांतों का पालन करते हैं, अर्थात् साधना करते हैं। अपने मन को विशुद्ध निर्मल बनाते हैं अर्थात् पंच क्लेश, पंच ...