क्या हम कभी भगवान को देख सकेंगे?
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क्या हम कभी भगवान को देख सकेंगे?
अवश्य ही हम भगवान को देख सकते हैं। वेद ज्ञान की अथारिटी हैं । वेद कहते हैं जो जिस रूप में भगवान को चाहता है वह उन्हें उसी रूप में पाता है। ज्ञानी उसे निराकार ब्रह्म कहता है और उसी रूप में उसका आनन्द पाता है। भक्त उसे एक परम सुन्दर, परम कारुणिक, परम कृपालु श्रीराम, श्रीकृष्ण के रूप में देखता है और उसी रूप में पाकर उनकी सेवा करता है।
जिस प्रकार विज्ञान में किसी तत्व के गुण-दोष जानने के लिये कुछ नियम हैं उन नियमों का पालन करने पर ही आप उसके गुण-दोष जान सकते है, प्रकट कर सकते हैं। जैसे पानी 0 डिग्री से गे पर ही बर्फ बनता है इससे कम ताप पर आप उसके बर्फ बनने की आशा नहीं करेंगे और उसे दोष नहीं दे सकते।
इसीप्रकार भक्ति भी एक विज्ञान है। मानव मन भक्ति की प्रयोगशाला है। यहाँ प्रयोग अति सूक्ष्म होते हैं। बाह्य आँखों से दिखाई भी नहीं पडते अतः लोग धोखे में आ जाते हैं। तो जब आप किसी भक्ति वैज्ञानिक (वास्तविक संत) द्वारा बताये भक्ति के सिद्धांतों का पालन करते हैं, अर्थात् साधना करते हैं। अपने मन को विशुद्ध निर्मल बनाते हैं अर्थात् पंच क्लेश, पंच कोष, त्रिदोष, त्रिकर्म, त्रिताप से मुक्त होते हैं तब गुरुकृपा से आपका अंतःकरण दिव्य होता है और आर भगवान के दर्शन कर पाते हैं। जैसे आप संसार में किसी को देखते हैं, स्पर्श करते हैं उसी प्रकार आप भगवान को देखते हैं, स्पर्श करते हैं, सुनते हैं।
और वास्तव में यही मानव जीवन का एकमात्र लक्ष्य है। इसी लिये शंकराचार्य जी कहते हैं कि ये तीन चीजें मिलना अति दुर्लभ है। मानव शरीर, भगवान को जानने की लालसा और किसी महापुरुष का संग-
दुर्लभं त्रयमेवैतत् देवानुग्रहहेतुकम् ।
मनुष्यत्वं मुमुक्षुत्वं महापुरुष संश्रयः ॥
मनुष्यत्वं मुमुक्षुत्वं महापुरुष संश्रयः ॥
मनुष्यत्व, मुमुक्षत्व, और सत्पुरुषों का संग – ईश्वरानुग्रह करानेवाले ये तीन मिलना, अति दुर्लभ है ।
हम वे भाग्यशाली जीव हैं जिन्हें मानव शरीर मिला तो इसका उचित उपयोग करना हमारा धर्म है। और भगवान को पाना ही हमारा एकमात्र लक्ष्य है जो संभव है। अनेक महापुरुषों तुलसी, सूर,मीरा, नानक जी, तुकाराम, कबीरदास जी आदि ने उन्हें पाया।
हर कोई भगवान को पा सकता है
भगवान को पाना इतना सरल है कि एक अनपढ गँवार किसान धन्ना जाट भी उसे पा सकता है।
एक छोटा सा पाँच वर्ष का नन्हा बालक ध्रुव, प्रह्लाद उन्हें पा सकते हैं।
एक अबला स्त्री मीरा उन्हें पा सकती है।
एक गरीब चर्मकार रविदास उन्हें पा सकते हैं।
एक अँधे भक्त सूरदास उन्हें पा सकते हैं।
एक पक्षी काग भुसुंडी, जटायु उन्हें पा सकता है।
एक असहाय वृद्धा शबरी उन्हें पा सकती है।
भगवान हमें यह बता रहे हैं कि तुम् बहाने मत बनाओ देखो मैंने कोई नियम-कानून नहीं रखा है। हर एक व्य़क्ति चाहे वह अमीर हो या गरीब मुझे पा सकता है।
केवल एक चीज चाहिये उन्हें पाने की लालसा।
अतः विश्वास रखें और साधना करें।
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कृष्ण-सुदामा |
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श्रीराम-शबरी के जूठे बेर खाते हुए |
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