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Showing posts from February, 2021
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 भगवान सगुण साकार हैं God has a beautiful Form बर्हापीडं नटवरवपुः कर्णयोः कर्णिकारम् विभद्वासः कनककपिशं वैजयन्तीं च मालाम्। रन्ध्रान्  वेणोर्धरसुधया पूरयन् गोपवृन्दै- र्वृन्दारण्यं स्वपदरमणं प्राविशद् गीतकीर्तिः।। (श्रीमद् भागवत) (श्रीकृष्ण ग्वालबालों के साथ वृन्दावन में प्रवेश कर रहे हैं । उनके सिर पर मयूरपिच्छ है और कानों पर कनेर के पीले पीले पुष्प ; शरीर पर सुनहला पीताम्बर और गले में पाँच प्रकार के सुगन्धित पुष्पों की बनी वैजयन्ती माला है । रंगमंच पर अभिनय करते हुए श्रेष्ठ नट का - सा क्या ही सुन्दर वेष है । बाँसुरी के छिद्रों को वे अपनें अधरामृत से भर रहे हैं । उनके पीछे - पीछे ग्वालबाल उनकी लोकपावन कीर्ति का गान कर रहे हैं । इस प्रकार वैकुण्ठ से भी श्रेष्ठ वह वृन्दावन धाम उनके चारणचिन्हों से और भी रमणीय बन गया है । श्रीमद भागवत १०-२१-०५ भगवान के ऐसे सुन्दर मनोहर रूप पर भला कौन नहीं मोहित होगा। 💘💓
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सौन्दर्य लहरी हिन्दी में Adi Shankaracharya Soundrya Lahari Soundaya Lahari सौन्दर्य लहरी जगद्गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित एक ग्रंथ है जो संस्कृत भाषा में है तथा जिसमें 100 श्लोक (छंद) हैं।  इसकी रचना उन्होंने बाल्यकाल में ही की थी ऐसा कहा जाता है।  सौंदर्य लहरी अर्थात् सुन्दरता की लहरें, इसमें माँ पार्वती के सौन्दर्य, उनकी कृपा एवं करुणा, भक्ति वत्सलता का सुन्दर वर्णन है। सौन्दर्य लहरी की विषय -वस्तु श्री जगद्गुरु शंकराचार्य ने सौन्दर्यलहरी स्त्रोत में श्री आदि शक्ति मूलमाया एवं शुद्ध विध्या का तात्विक, यौगिक, और प्राकृतिक सगुणरूप का, रस्गार्भित, भक्तिपूर्ण, व मनोहर वर्णन किया है | भगवत्पाद ने जो अनेक ग्रन्थ तात्विक और धार्मिक विषय के लिखे हैं, उनमें ‘सौन्दर्यलहरी’ एक संकीर्ण स्त्रोत है, जिस की रचना भगवत्पाद ने बाल्यावस्था में ही की थी, ऐसा श्लोक ७५ और १०० से प्रकट होता है।  भुमौस्खलित पादानाम् भूमिरेवा वलम्बनम् । त्वयी जाता पराधानाम् त्वमेव शरणम् शिवे ॥ शिवः शक्त्या युक्तो यदि भवति शक्तः प्रभवितुं न चेदेवं देवो न खलु कुशलः स्पन्दितुमपि। अतस्त्वाम् आराध्यां हरि-हर-विरिन्च...