Devotion is supreme, भक्ति ही श्रेष्ठ है
भक्तिरेव गरीयसी
भक्ति ही श्रेष्ठ है
Devotion is the best
श्रीमद् भगवत गीता कर्म योग से आरम्भ होकर भक्तियोग पर समाप्त होती है।
भक्ति योग ही आधुनिक समय अर्थात् कलियुग के लिये सर्वोत्तम मार्ग है।
श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं-
सर्वधर्मान् परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
सारे धर्म-अधर्म का विचार त्याग कर हे अर्जुन तू एकमात्र मेरी शरण में आ जा।
और फिर यह भी कहते हैं कि-
क्षिप्रं भवति धर्मात्मा शश्वच्छान्तिं निगच्छति।
कौन्तेय प्रतिजानीहि न मे भक्तः प्रणश्यति।।9.31।।
कौन्तेय प्रतिजानीहि न मे भक्तः प्रणश्यति।।9.31।।
अर्थात्
हे कौन्तेय, जो मेरी भक्ति करता है वह शीघ्र ही धर्मात्मा बन जाता है और शाश्वत शान्ति को प्राप्त होता है। तुम निश्चयपूर्वक सत्य जानो कि मेरे भक्त का कभी पतन नहीं होता
कितना सुखद अहसास होता है जब हम यह सोचते हैं कि कोई हमारे साथ हैं सदा..
और मुझे सँभालने के लिये सदा तत्पर हैं...
इससे सिद्ध होता हे कि भक्ति मार्ग ही सर्वोत्तम मार्ग है। जहाँ भगवान स्वयं भक्त का निष्काम प्रेम पाने के लिये लालायित रहते हैं।💕
#Devotion is the best #भक्ति ही श्रेष्ठ है
Comments
Post a Comment