Blues and Depression, अवसाद

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The Blues....Depression


यह अंतहीन चक्र आरम्भ होता है उदासी, अकेलापन, दुख से और शीघ्र ही आप अपने आप को एक अँधे कुँए में पाते हैं..जहाँ सब ओर अँधेरा ही अँधेरा होता है।

Sooner or later, everyone gets the blues. Feeling sadness, loneliness, or grief when you go through a difficult life experience is part of being human. But what if you don’t bounce back?

अवसाद एक मानसिक स्थिति है जो किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। मैं अनेक लोगों से मिलती हूँ और उनकी मानसिक स्थिति उनका चिंतन धारा जानने का प्रयास करती हूँ। देखती हूँ अवसाद किसप्रकार न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक रूप से भी हमें बीमार कर देता है। कई बार मैंने स्वयं में अवसाद के लक्षण देखे और मैं तुरन्त संभल गई।

अवसाद में यदि आप शीघ्र नहीं संभलते और उसे पालते रहते हैं तो वह एक एसा बोझ बन जाता है कि फिर उसे आपको ढोना ही पडता है।

इसी एक भूल से अवसाद, डिप्रेशन एक के बाद एक जटिल अवस्थाओं में बदलता जाता है और एक पल एसा भी आता है जब यह लगता है कि अब इस अंधेरे चक्र से वापस आना असंभव है।

अवसाद, डिप्रेशन के अनेक कारण हो सकते हैं। कोई अविश्वसनीय घटना से लेकर एक छोटी सी घटना एक अति संवेदनशील मनुष्य को डिप्रेश करने के लिये पर्याप्त होती है।

हमें अपने आप को मानसिक रूप से मजबूत करना होगा। इतना कि आस पास की अनचाही परिस्थितियों में भी अपने मनोबल को ऊँचा रखते हुए अपने लक्ष्य तक पहुँच सकें।

आज की आधुनिक जीवन शैली कुछ एसी है कि आपको अवसादग्रस्त कर देती है। इसीलिये बीच-बीच में स्वयं को भी चेक करते रहिये किआप स्वस्थ हैं या नहीं।

मैंने जब कई अवसादग्रस्त लोगों से बात की तब यह नोट किया कि उनमें सबके प्रति एक अविश्वास का भाव पैदा हो गया होता है। उनके लिये किसी पर भी विश्वास करना बड़ा कठिन हो जाता है।

यहाँ प्रश्न उठता है कि आध्यात्म इस नाजुक स्थिति में किस प्रकार सहायता कर सकता है।

जब व्यक्ति सबके प्रति अविश्वास करता है कहीं गहरे वह स्वयं के प्रति ही अविश्वास करताहै। यह समस्या बेहद गंभीर होतीहै। उसे एक एसा व्यक्ति चाहिये जिसपर वह पूरा विश्वास कर सके।जो उसके मन की सभी कही-अनकही बाते सुने उसे समझे।

यदि वह उस परम उदार, परम करुणामय, परम सनेही भगवान की वास्तविकता जान लेता है तो उनपर सहज ही विश्वास कर सकता है और उनसे अपने मन की बात कहकर उसका सोल्यूशन भी पा सकता है।

केवल मानव में स्व की वह सामर्थ नहीं कि वह निस्वार्थ भाव से किसी के प्रति समर्पित हो सके।

भगवत् आश्रय जिसकी हम हमेशा उपेक्षा कर देते हैं, सम्मान नहीं देते, और आधुनिकता का दामन थामकर आगे बढ जाते हैं किन्तु आधुनिकता की यह कीमत, अवसाद, डिप्रेशन वर्तमान युग की एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।

आइये अवसाद से स्वयं बचने एवं अपनी पृथ्वी को बचाने की एक नयी पहल करें ...

उन परम करुणामय भगवान का स्मरण करें, हृदय से धन्यवाद दें,...

उनको ही अपना रक्षक और अपना निरीक्षक मानें...

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